Film: यहूदी
Actors in the song: दिलीप कुमार
Singer: मुकेश
Composer: शंकर- जयकिशन
Lyricist: शैलेन्द्र
Year: १९५८
आशिक दुःख में, विरह में भी येही कहता है, "तुम्हे मेरे दिलसे, जज्बातों से चाहे कुछ लेना न हो, पर मुझे तो मेरी मोहोब्बत पे नाज़ है, गुरूर है, और वो ऐसे ही कायम रहेगा, और पूरी दुनिया को मनवा के भी रहूँगा..."
"दिल से तुझको बेदिली है..
मुझको है दिल का गुरूर
तू ये माने के न माने..
लोग मानेगे ज़ुरूर.."
मोहोब्बत यहाँ महज़ इश्क या अकीदत नहीं, इबादत हो गई है...तुम्हारे बगैर भी तुमको ही चाहना है, तुमको ही जीना है. हाँ मुझे अब भी तुम्हारा इंतज़ार है, अब भी तेरी ही तमन्ना है और मैं इंतज़ार करूंगा तुम्हारा हर हाल में, अपनी आखरी सांस तक.
"चाहे तू आये न आये
हम करेंगे इंतज़ार..."
ये गाना एक ऐसी महफ़िल है उस्तादों की...जहाँ सारे के सारे रत्न एक साथ मिलके एक अमर कृति तैयार करते है और की भी है ही..शैलेन्द्र के बोल और शंकर-जयकिशन की धुन, मुकेश की आवाज़ और युसूफ साब की अदाकारी..और क्या चाहिए एक गाने को अमर बनाने के लिए???
आशिक हर हाल में आशिक है और वो अपने महबूब से येही कहता है की भले तुने मुझे भुला दिया हो पर मैं कैसे भूल जाऊं तुम्हे? मैं तो यूँही चाहूँगा...तेरा नाम लेते-लेते मर ही जाऊँगा..तब तुम क्या करोगी अगर तब ज़रुरत पड़ी मेरी या मेरे प्यार पे यकीन आया? आजाओ मेरे पास..अब भी वक़त है..अबतक साँसे चल रही है मेरी...
"ऐसे वीराने में एक दिन
घुट के मर जायेंगे हम
जितना जी चाहे पुकारो
फिर नहीं आयेंगे हम"