Thursday, November 3, 2011

Nov 4th 2011 - Mere Dil Mein Aaj Kya Hai


Song : मेरे दिल में आज क्या है, तू कहे तो मैं बतादूँ
Film: दाग़
Actors in the song: शर्मीला टगोर, राजेश खन्ना 
Singer: किशोर कुमार 
Composer: लक्ष्मीकांत - प्यारेलाल
Lyricist:  साहिर लुधियानवी
Year: १९७३

मोहोब्बत समाज के बनाये रिश्तों के परे होती है, पहली मोहोब्बत कभी भुलाई नहीं जाती, और नाहीं कभी भूलती है..वो ज़िन्दगी के किसी न किसी मकाम पर आपसे फिर से रू-बा-रू होती ही है.. ये बात से कोई फर्क नहीं पड़ता के उस वक़्त ज़िन्दगी में आपकी क्या चल रहा है, या आपका हमसफ़र कौन है उसवक्त...अगर वो पहली मोहोब्बत सामने आएगी आपके, तो वही  पुराने जज़्बात फिर से उभर आयेंगे ही, आप चाहे कुछ करलो, वो आँखों से या लबों से निकल ही आयेंगे...आँखों से आंसूं के रूप में, और लबों से एक पुकार, एक टीस के साथ निकलके येही कहेगी.."तुझे देवता बनाकर मेरी चाहतों ने पूजा, मेरा प्यार कह रहा है..के तुझे ख़ुदा बना दूं...तेरी ज़ुल्फ़ फिर संवारूं , तेरी मांग फिर सजादूं ".....


हम क्यों जुदा होता है और क्यों किसी और से मिलते है, ये अपने बस में नहीं होता, हालात पे इंसानों का बस नहीं चलता, पर जो मोहोब्बत दिल में है..वो संभाले रखना ज़रूरी है, मैं आज कौन हूँ, वो बस उसके ऊपर निर्भर करता है के मैं कल कौन था? माज़ी की दखल के बगैर न आज होता है और नाही मुस्तकबिल बनता है.

साहिर साब का ये गाना ये सारे जज्बातों को इतनी बखूबी से पेश करता है की आपके मूंह से वाह निकले बिना नहीं रहती...और जब किशोर अपनी मादक आवाज़ में वो जज़्बात पेश करते है वो एक पल ज़रूर ये असमंजस होती है के ज्यादा तारीफ़ किसकी करें..शायर की या गायक की...

बात वोही है जो ग़ालिब ने कही थी..."तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे..."


ये गाना महेज़ गाना न होकर, ज़िन्दगी की वो सबसे बड़ी सच्चाई को पेश करता है..के मोहोब्बत शाश्वत है..कभी नहीं मरती...वो जज़्बात जो आशिक के अपने महबूब के लिए होते है..वो हमेशा, ता-उम्र जिंदा रहते है, वो ख्वाहिशें कभी ख़त्म नहीं होती, वो दर्द कभी खत्म नहीं होता, और वो आरजू भी वैसे ही बरक़रार रहती है...और मोहोब्बत हर मौके पे साबित करके को तत्पर रहती है, के हाँ मैं अब भी वोही हूँ...शायद तुम ही आगे निकल गए...


"मेरे बाजूंओं  में आकर तेरा दर्द चैन पाए..
तेरे गेसूओं में छुपकर मैं जहाँ के ग़म भूलादूं"

2 comments:

  1. सच में बहत खूबसूरत गाना...अपने साथ कई सवालों को लिए हुए..सवाल समाज पर..सवाल रिश्ते पर..सवाल मजबूरियों पर..और जज़्बात इतने बढे हुए है, इतने भरे हुए के वो किसी सवाल का कोई जवाब चाहता ही नहीं..सारी चीज़ें छोटी और तुच्छ हो जाती हैं एक ख्वाहिश के आगे..और ख्वाहिश कोई दबी हुई नहीं वो लबों से निकल ही जाती है-"तेरी ज़ुल्फ़ फिर स्वारून..तेरी माँग फिर सजा दूँ"..सच में बहुत खूबसूरत गाना.

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  2. thanks a lot...gane ke saath meri bhi thodi tareef kar dete to achcha hota ;)

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