Friday, November 4, 2011

Nov 5th 2011 - Tujhse Naaraz Nahin Zindagi

Song : तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी
Film :  मासूम
Actors in the song: नसीरुद्दीन शाह, जुगल हंसराज
Singer: अनूप घोषाल
Composer: राहुलदेव बर्मन
Lyricist:  गुलज़ार 
Year: १९८३ 

बात बड़ी साफ़ है, सीधी है..ज़िन्दगी हर एक मोड़ पे एक सवाल के साथ खडी ही होती है, सवाल का जवाब दो और आगे बढ़ते चलो...ज़िन्दगी से कोई परेशान तो नहीं ही होता, हाँ, कुछ एक सवाल सोचने पे मजबूर कर ही देतें हैं, कुछ देर तक परेशान भी करते ही हैं.

कुछ सवाल ऐसे भी होते है, जिन्हें थोड़ी देर तक टाला तो जा सकता है पर कभी न कभी उनका भी जवाब देना पड़ेगा ही. उन सवालों के जवाब कैसे दिए है आपने..ज़िन्दगी बस उसी पे निर्भर करती है.

आज के ये गाना..एक पूरी की पूरी फिलोसोफी है, के ज़िन्दगी कैसे जीनी चाहिए और रिश्ते कैसे निभाने चाहिए.
बात वो मुश्किल सवालों की नहीं है, उन्हें तो शायद हर कोई बूझ लेता ही है, क्योंकि उनके लिए हम सब थोड़ी बहुत तो तैयारी करते ही है, बात उन मासूम सवालों की है, जो उन छोटे-छोटे ज़िन्दगी के मोड़ पे मिलते है, जो हमे चक्रा देते है. उन्हें बूझ लो फिर देखो की कैसे कभी धुप में ठन्डे साए भी मिलते है और कभी ग़म रिश्ते भी समझाता है.

गुलज़ार साब के लिखा हुआ ये गाना, ये साबित करता है की, रिश्ता चाहे बाप और बेटे में हो या प्रेमी-प्रेमिका में, जो सवाल उठते है रिश्तों में वो काफी हद तक वोही रहते है. बात कोई एक special सपने को संजो के रखने की हो या एक आंसूं को छुपा के रखने की या उस डर की हो के "कल क्या पता किनके लिए आँखें तरस जायेंगी?"

ये गाना, एक गाने से ज्यादा एक पूरा scene  है, जहाँ दो किरदारों के बीच छोटी छोटी पर बहुत ही महत्त्वपूर्ण बातें होती है..और वो सवाल होते है..जो आपके चेहरे पे मुकुराहट के साथ आपकी पलकें भी गीली कर देते हैं.
पंचम का सगीत..हर एक बोल को जिंदा कर देता है.

"आज अगर भर आई है...बूँदें बरस जायेंगी
कल क्या पता, किनके लिए आँखें तरस जायेंगी?"

वाह!!

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